Mansarovar 1, Hindi (मानसरोवर 1): प्रेमचंद की मशहूर कहानियाँ (Hindi Edition)
Mansarovar 2 (मानसरोवर 2)
"कहते हैं जिसने पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द नहीं पढ़ा उसने हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ नहीं पढ़ा।
पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द ने 14 उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ व 300 से अधिक कहानियाठलिखीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कहानियों को 'मानसरोवर' में संजोकर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। इनमें से अनेक कहानियाठदेश-à¤à¤° के पाठà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में समाविषà¥à¤Ÿ हà¥à¤ˆ हैं, कई पर नाटक व फ़िलà¥à¤®à¥‡à¤‚ बनी हैं जब कि कई का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ व विशà¥à¤µ की अनेक à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ हà¥à¤† है।
अपने समय और समाज का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• संदरà¥à¤ तो जैसे पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानियों को समसà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ साहितà¥à¤¯ में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• बारीक़ियाठà¤à¥€ देखने को मिलती हैं। विषय को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° देना व पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। ये कहानियाठन केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बलà¥à¤•à¤¿ उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ साहितà¥à¤¯ समà¤à¤¨à¥‡ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं।
ईदगाह, नमक का दारोगा, पूस की रात, कफ़न, शतरंज के खिलाड़ी, पंच-परमेशà¥à¤µà¤°, आदि अनेक à¤à¤¸à¥€ कहानियाठहैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पाठक कà¤à¥€ नहीं à¤à¥‚ल पाà¤à¤à¤—े।
(अगर किताब पसंद आई हो तो Please Review डालना न à¤à¥‚लें।)
Country | USA |
Manufacturer | GENERAL PRESS |
Binding | Kindle Edition |
ReleaseDate | 2018-07-02 |
Format | Kindle eBook |